चक्रवात यास(Cyclone Yaas)

 

चक्रवात यास


(Cyclone Yaas)





भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा 22 मई के आसपास उत्तरी अंडमान सागर और उसके निकटवर्ती पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक निम्न दाब का क्षेत्र निर्मित होने की जानकारी दी गई है।

24 मई तक, इस निम्नदाब क्षेत्र के तीव्र होकर एक चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है। इस तूफ़ान को ‘चक्रवात यास’ (Cyclone Yaas) नाम दिया गया है।

इसका नामकरण:

  • ‘यास’ नाम का सुझाव ‘ओमान’ द्वारा दिया गया था और इसका नामकरण एक अच्छी सुगंध वाले ‘वृक्ष’ के ऊपर किया गया है, तथा इसका अर्थ अंग्रेजी भाषा के ‘जैस्मीन’ शब्द के समान होता है।
  • अगले चक्रवात – यास के बाद – का नाम ‘गुलाब’ रखा जा सकता है, जिसे पाकिस्तान द्वारा सुझाया गया है।

चक्रवातों का निर्माण किस प्रकार होता है?

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्रीय जल के ऊपर चक्रवातों का निर्माण होता है।

इन क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा सर्वाधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप स्थलीय  और जलीय भागों की ऊपरी सतह गर्म हो जाती हैं। सतह के गर्म होने के कारण, समुद्र के ऊपर स्थित उष्ण-आर्द्र वायु ऊपर की ओर उठने लगती है, जिसके बाद इस रिक्त स्थान को भरने के लिए तेजी से झपट्टा मारकर आगे बढ़ती है, फिर ये भी गर्म होकर ऊपर की उठ जाती है, और यह चक्र जारी रहता है।

वायु-चक्रण निर्मित होने का कारण:

  • वायु, सदैव उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब वाले क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होती है। उच्च दाब क्षेत्रों का निर्माण ठंडे क्षेत्र में होता है, जबकि निम्न दाब की स्थिति उष्ण या गर्म क्षेत्रों में बनती है। ध्रुवीय क्षेत्रों में सौर-प्रकाश की मात्रा उष्ण-कटिबंधीय क्षेत्रों की तुलना में काफी कम होती है, अतः ये सामान्यतः उच्च दाब के क्षेत्र होते हैं। और इसीलिए वायु का संचरण प्रायः ध्रुवीय क्षेत्रों से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की ओर होता है।
  • इसके बाद, पृथ्वी की गति अपनी भूमिका अदा करती है, जोकि पश्चिम से पूर्व की ओर होती है। पृथ्वी के अपनी धुरी पर परिक्रमा करने की वजह से, दोनों धुर्वों की ओर से बहने वाली हवा का उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विक्षेपण होता है, क्योंकि गोलाकार होने के कारण पृथ्वी के घूर्णन की गति ध्रुवों की तुलना में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक होती है। आर्कटिक क्षेत्र से आने वाली हवा, दायीं ओर विक्षेपित हो जाती है तथा अंटार्कटिकक्षेत्र से चलने वाली हवा बायीं ओर विक्षेपित हो जाती है।
  • इस प्रकार, पहले से ही निश्चित दिशाओं में प्रवाहित हो रही वायु, जब किसी गर्म स्थान पर पहुँचने के पश्चात् ऊपर उठती है, तो रिक्त स्थान को भरने के लिए ठंडी हवा, केंद्र की ओर आकर्षित होने लगती है। केंद्र की ओर बढ़ते समय, ठंडी हवा विक्षेपित होती रहती है जिसके परिणामस्वरूप वायु-संचरण में परिवलन होने लगता है, और प्रक्रिया, चक्रवात के स्थल से टकराने तक जारी रहती है।

चक्रवात के स्थल से टकराने के पश्चात:

चक्रवात, स्थलीय क्षेत्रों पर पहुचने के बाद बिखर कर समाप्त हो जाता है, क्योंकि उष्ण जल के संपर्क में आने के कारण वायु गर्म होकर ऊपर उठती है और ठंडी वायु के लिए रिक्त स्थान बनाती है, किंतु स्थल पर इसका अभाव होता है। इसके अलावा, ऊपर उठने वाली आर्द्र हवा से बादलों का निर्माण का निर्माण होता है, जिससे चक्रवातों के दौरान तेज हवाओं के साथ तीव्र बारिश होती है।

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